Thursday, March 29, 2012

हम याद करके रोए वो भुला भुला के रोए

 हमसे रूठकर वो आंसू छुपा छुपा के रोए
सारे जज़्बात दिल में दबा दबा के रोए
दर्द- ए- दूरी किसी को नहीं आसान रहा
हम याद करके रोए वो भुला भुला के रोए

हमारा इक दूजे से ज्यादा कोई अपना न था
पर आंसुओं को देखने में किसी ने कसर न रखी
हम उन्ही पराये से अपनों के आगे  रो लिए 

  वो सारी दुनिया से नज़र बचा बचा के रोए

 

प्यार की हर याद ठुकराकर  वो गए
पर यादें उन्हें ठुकराकर गई नहीं कभी
हम इंतज़ार की हर गली सजाकर रोए
वो वापसी के रास्तों से कदम बचा के रोए



आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

Tuesday, March 20, 2012

खाक कर दे कोई Let me die

parwaz:let me die
वो लड़की आम लड़की है ही नहीं...आम मतलब इकदम आम जेसी लोग अपनी बहन बेटी के रूप में चाहते हैं ....पर वो खास भी नहीं है ...मतलब जेसी लड़की को लोग अपनी प्रेमिका बनाना चाहते है वेसी भी नहीं...बस अलग सी कही बीच में अटकी सी हुई ..जैसे भगवान ने ये कहकर स्वर्गनिकाला दे दिया हो की तू उतनी अच्छी नहीं की तुझे यहाँ रखा जाए और अब धरती के लोग उसे किसी भी श्रेणी में रख पाने मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं करते....वो लड़की ख़ुद से नफरत करती है शायद उतनी नफरत जितनी कभी कभी शम्पैन की बोत्तल ख़ुद से करती है ...की लोग पीते भी ही गाली भी देते हैं कोई सीने से नहीं लगाता बस होंठो से लगाते है और फिर उन्ही होठो से गाली देते हैं....कुल मिलाकर वो मिसफिट की केटेगिरी में रखी जा सकती है परम्परागत लोगो में भी मिसफिट और आधुनिक लोगो में भी मिसफिट.....
ऐसी  लड़कियों को सुकून का जीवन काटने दौड़ता है ये बस बेचैनियाँ चाहती है  ,चाहती है की इनकी मौत ऐसे गहरे प्यार में हो की इन्हें सुध न हो प्राणों के चले जाने की इनकी आखरी इच्छा कुछ खास नहीं होती बस सारी उम्र की पूँजी लगाकर ये चाहती है इन्हें चन्दन की लकड़ी में जलाकर इनकी रूह की ,इनके प्यार की सारी महक को दुनिया भर में फैला दिया जाए ....

अब कुछ पंक्तियाँ....


 ये रात दिन का चैन  सुकून अच्छा नहीं लगता
सब सुकून ले ले मुझको बैचेनी दे  दे  कोई
वो सारे खवाब जो आते है पूरे नहीं होते
सारे ख्वाब लेले जमीन पथरीली दे दे कोई

ये सारे शोर , खामोशियाँ ,बेबाकियाँ,बेताबियाँ
महज जलते है दिल में सब, बाहर आ नही पाते
ये जल जल कर बुझ जाते है सारे शब्द होंठों पर
सारे शब्द ले ले बस आंसू की दो बूँद दे दे कोई

 अन्दर की राख कहीं हवा को तरसती है
न तो आग जलती है न बदली बरसती है
आग को फिर से जला दे मन के अन्दर ही
या फिर राख को इतना बढ़ा दे की खाक कर दे कोई


इतर की खुशबु अच्छी ही नहीं लगती
बस तमन्ना है कही इतर बन महक जाने की
या तो इतर करके फेला दे मुझको  सारे आलम में
या चन्दन सी लकड़ी  सा करके आग दे दे कोई ...

आपका एक कमेन्ट मुझे बेहतर लिखने की प्रेरणा देगा और भूल सुधार का अवसर भी

Wednesday, March 14, 2012

तुम उसे चाहो न चाहो वो तुम्हे बेइन्तेहाँ चाहती है...You Love her or not she loves you

आज फिर तुम्हे आंसुओं के दरिया के परे  कही इंतज़ार करती पथराई बंजर जमीन सी सूखी "आँखों" के करीब ले जाने का इरादा है...जानते हो वो आँखें किसकी है?याद है तुम्हे वही एक लड़की जिसे तुम एक पूरा दरिया दे आए थे आंसुओं का...बरसों तक  सावन, भादो ,आषाढ़ सब उसने इस दरिया के साथ बिताए वेसा सावन तुमने कभी न देखा होगा  और एक दिन ये दरिया बंजर हो गया...
सच कहती हूँ ऐसा  सूखा भी तुमने कही न देखा होगा ..आँखों  में एसा गज़ब का सूखापन है जैसे सूरज ने अपनी हर किरण को बस उन आँखों की नमी सोखने के काम पर लगा दिया हो....जैसे दुनिया की सारी धरती अपनी प्यास बुझाने के लिए वह से बूँद बूँद निचोड़ ले गई हो ....और उस लड़की ने भी हर बूँद निचोड़ लेने दी जैसे अपना जीवन रस देकर सारी धरती को हरा भरा करना  और बरसों से प्यासे सूरज की प्यास बुझा देना चाहती हो ....

याद है तुम्हे वो तुमसे कहा करती थी "तुम्हारे आंसू मैं नहीं देख सकती तुम्हारे आंसू की एक बूँद मेरी आँखों  से दरिया बहा देगी ,तुम्हारे आंसू देखने से अच्छा है मैं मर जाऊ " और तुम कहते थे "तुम सालों साल जिओगी " शायद ठीक उसी पल दोनों के शब्दों में सरस्वती आ बैठी थी तुम्हारे उन कुछ आंसुओं ने बरसों तक लड़की की आँखों से दरिया बहाया और उसकी उम्र भी पहाड़ सी लम्बी हो गई.....
सारी दुनिया जानती है इंतज़ार के पल बड़े लम्बे होते हैं और बेदर्द भी...इंतज़ार ने कभी किसी पर दया नहीं दिखाई और तुम चाहे मानो न मानो लड़कियों के लिए इंतज़ार के पल हमेशा से ज्यादा भारी रहे हैं...चाहे वो किसी के आने का इंतज़ार हो,किसी के कुछ कह देने का इंतज़ार हो या बस तुम्हारे  मुस्कुरा देने भर का इंतज़ार हो .....

वो भी तुम्हारी याद में जाने कितने पौधों  की पीढ़ियों को सींचती रही...अपने प्रेम की धुप को दर्द के अँधेरे से बने बक्से में बंद करके उसने बरसो गुज़ार दिए अपना सारा अस्तित्व उस दर्द को पालने में लुटा दिया ...जैसे तुम्हरे इंतज़ार न करेगी तो अपनी पहाड़ जेसी उम्र काटने के बाद खुदा को क्या मुह दिखाएगी....एक तुम्हारी मुह दिखाई के लिए अँधेरे की गर्तों में सारी दुनिया से दूर छुपि बैठी है....

हर सुबह आसमान को बेहद खाली आँखों से देखती है और आसमान हर दिन सोचता है काश इसे मुझसे मोहब्बत हो जाए काश ये परी बनकर मेरी बाँहों में समां जाए और सिर्फ आसमान ही क्या सारी कायनात उससे दिल लगा बैठी है उसकी मोहब्बत उसके दर्द में डूब जाना चाहती है पर वो बावली बस तुम्हे चाहती है....उसे जो चाहते हैं वो उनकी नहीं होती और जिसके इंतज़ार में वो बावरी हुई जाती है वो लौटता नहीं.....
वो तुम्हे लिखना पढना,सुनना,गुनगुनाना चाहती है पर तुम हो की उसकी किसी भावना में नहीं समाते अब....बस उसके सारे अस्तित्वा पर छा गए हो ....
चलो न एक बार उसे मिल लो वो लड़की अब भी तुम्हारा इंतज़ार करती है तुम उसे चाहो न चाहो वो तुम्हे बेइन्तेहाँ  चाहती है...

Monday, March 12, 2012

मुझे खुद पता नहीं

कई दिनों कुछ अच्छा पढ़ा नहीं और अच्छा लिखा भी नहीं कुछ टुकड़े हैं जो इकट्ठे करके पोस्ट कर रही हु.....
१)मैं तेरा आशिक बना इसमें गज़ब कुछ भी नहीं
तुम मेरी मुरीद बन जाओ तो गज़ब की बात है
तुम मेरे अलफ़ाज़ सुनकर मुस्कुरा दो क्या मज़ा
मेरे ख़त को बेइन्तेहाँ चाहो गज़ब की बात है
2) बस मोहब्बत में ही तो सारा जहाँ हमदम नहीं होता
बरसकर जो भीगा दे हर बार वो सावन नहीं होता
न यूँ जख्म खोल कर घुमो भरे बाज़ार में लोगो
यहाँ हर शख्स के हाथ में मरहम नहीं होता
3)शिव तो मन में भी बसे है पर शिवाला देख लू
कितना गहरा असर करेगा विष का प्याला देख लू
जा रहा हु छोड़कर उम्र भर के लिए तुझे
तू ज़रा सा सामने आ मैं नज़ारा देख लू

4)मेरे तेरे ख्वाबों की तस्वीर बनी जाती हु
तुझे लगता है मैं ज़ंजीर बनी जाती हु
ऐतबार रख मुझे अपनी कमजोरी न समझ
मै तेरे तरकश का कोई तीर बनी जाती हु

5) कहाँ ले जाएँगे जज़्बात मुझे खुद पता नहीं
बैचैनी है क्यों दिन रात मुझे खुद पता नहीं
लोग कहते हैं मैं तेरे प्यार में पागल हु
क्या सच में है येही बात ? मुझे खुद पता नहीं