Sunday, July 5, 2009

वो आज मुझे ज़र्रे से आफताब बना गया
ये कौन आके हाथ मैं सपने थमा गया
हवा के झोंकों की तरह मेरा आँचल उडा गया
वो मेरे दिल मैं अज एलजादू जगा गया
हैं धड़कनें तेज और साँसों मैं जोर है...
वो मुस्कुरा के दिल को धडकना सिखा गया
चलते हुए वो राह मैं मिल गया इस तरह
जेसे जेठ की दुपहरी मैं बदल पानी बरसा गया
वो पास था तब तक हमें ख़बर भी न हुई
जब से दूर गया वो मेरे वजूद पर छा गया
थे रास्ते तो कई पर डर भी था मन मैं
हाथ थामकर वो मंजिल का रास्ता दिखा गया
इन राहों मैं मिलकर बिछडे कई लोग
पर आंखों से उतरकर दिल मैं अपना घर बना गया
प्यार के फूलों की बरसात लाया वो जिंदगी मैं
और प्रेम मैं ही मुझको वो जीना सिखा गया

3 comments:

Sachin said...

Sachmuch dil ko chhu gayi hai ye lines.
Ekdum alag ehsas ko likha hai.....

Unknown said...

kavita kuch sandesh de rahi hai

अजय said...

bahut hi umda ..............

aakhir ummeedon ne raasta dhoodh hi liya.....